जिनके माता-पिता मार्कशीट फेसबुक पर लहरा नहीं सकते :
मेरे इस देश के बहुत सारे बिटुआ और बिन्नी जिनके नंबर कम आए हैं और जिनके मां-बाप शान से उनकी 12वीं मार्कशीट फेसबुक पर नहीं लहरा सकते, मेरे बच्चे निराश मत होना. अपनी मम्मा या पापा को कहना कि विनीत चाचू से बात करा दो मेरी.
देश के बिट्टू-बिन्नी ! मैं तुम्हें बताऊंगा कि जिनके माता-पिता ने नंबर को ही अपने बच्चे की सफलता का अंतिम सत्य मान लिया है, वो उनके लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं. वो उन पर आगे के लिए दबाव बना रहे हैं. वो अपने और अपने बच्चों के लिए डिप्रेशन की ज़मीन तैयार कर दे रहे हैं. देखना एक समय बाद अपने सारे अधूरे सपने उन पर लाद देंगे.
बिट्टू-बिन्नी ! मैंने अपनी आंखों के सामने सैंकड़ों टॉपर और 90 प्लस को ग्रेजुएशन के अंतिम साल तक आते-आते हांफते देखा है. आगे की पढ़ाई में सफलता के गेम बदल जाते हैं और वो नंबर गेम से बाहर निकल ही नहीं पाते. कई तो एक साल तक इस खुमारी से बाहर ही नहीं आ पाते.
तुम्हारी मम्मा ने तुम्हारी मार्कशीट एफबी टाइमलाइन पर नहीं लहराया, पापा ने सेल्फी नहीं लगायी, कोई बात नहीं. तुम परेशान मत होना. तुम्हारी लड़ाई बहुत आगे की है. अपने बच्चों पर इतरानेवाले माता-पिता को ख़ुश हो लेने दो. वो एक-दो बच्चे के ही माता-पिता हैं, उन्हें हक़ है.
तुम बस अपनी मां के गले से लिपटकर कहो- मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा मां. तुम अब मेरे सपने के साथ थोड़ा साथ चलो. पापा का मूड ऑफ होगा, थोड़ा ऑफ हो लेने दो. एक-दो दिन बाद अपने सपने के बारे में बताना. मुश्किल लगे ऐसा करना तो मुझसे बात करवाना. बस सपने देखना मत छोड़ना.
बिट्टू-बिन्नी. आज से थोड़ा अपमानित होने की, इग्नोर कर दिए जाने पर भी सहज बने रहने आदत डाल लो, देखना तब तुम्हारे हिस्से की दुनिया तुम्हारी शर्त पर होगी, बहुत बड़ी होगी जिसमें कम नंबरवाली मार्कशीट की उदासी का नामो-निशान न होगा. सफल होने के लिए अपमानित होने की आदत डालना बहुत ज़रूरी होता है
बिट्टू-बिन्नी.
मेरी शुभकामनाएं
विनीत
|