ऐ राही अपनी राह बना ! क्यों सोया इतनी मस्ती में !! सब ढूंढ रहे मंजिल अपनी ! तू खोया है किस बस्ती में !! यह दुनिया है जंजालों की ! अब अपना ज़रा कमाल दिखा!! ये गगन तुम्हारी मंज़िल है ! अब साहस भरा उड़ान दिखा!! क्यों डरता है तु गिरने से ! तू गिर गिर कर इतिहास बना !! सब तेरे ही गुण गाएंगे ! कभी क्षमता भरा प्रयास लगा !! ना शोर मचा बस ज़ोर लगा ! तू उच्च शिखर तक जाएगा !! पर जिस दिन साहस भंग हुआ ! तू भीतर से मर जाएगा !!