जीवन में मेहनत प्रयास किसे कहते हैं, हमने महान व्यक्ति से सीखा है जिन्होंने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से आज वह अरबों के मालिक हैं।
₹300 से 75000 करोड़ तक का उन्होंने सफर तय किया, जीवन के हर चुनौतियों से लड़कर और हर मुसीबत तो को पार करके आज उनका नाम है इतिहास के पन्ने में सुनहरे अक्षर में लिखा है। यह सफर आसान नहीं था उनके लिए लेकिन लोग कहते हैं ना मन में अगर जोश हो जीवन के हर हर सफलता को पा सकते हैं।
23 दिसंबर,1932 को धीरुभाई का जन्म मोढ़ वैश्व परिवार में गुजरात में हुआ था। धीरुभाई के पिता का नाम हीराचंद्र गोवर्धनदास अंबानी एक अध्यापक थे।
जब धीरुभाई 16 वर्ष के थे, यमन चले गए, जहां उन्होंने ए. बीस एंड कंपनी में ₹300 प्रतिमाह पर काम किया। कुछ दिनों बाद इस कंपनी के शैल कंपनी की डिसटीब्यूटर्स बन जानें से, धीरुभाई इस कंपनी के पेट्रोल पंप का कार्य दिखने लगे।
वर्ष 1998 में बे भारत वापस लौट आए और उन्होंने एक टैक्सटाइल ट्रेंडिंग कंपनी की स्थापना की। धीरे-धीरे पूरे निष्ठा एवं लगन से आगे बढ़ते हुए, धीरुभाई ने अपने व्यवसाय को इतना बढ़ाया कि लोग दांतों तले अंगुली दबाने को बाध्य हो गए।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के नाम से दुनिया में विख्यात उनके टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज का टर्न ओवर महानायक धीरुभाई अंबानी के जीवन के अंत समय में लगभग 75000 करोड़ था। धीरुभाई की प्रगति यात्रा बहुत उतार-चढ़ाव भरी रही और उन्हें अपने जीवन में हर सफलता के पथिक की तरह बड़े संघर्ष एवं प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। धीरुभाई में कभी भी हार नहीं मानी एवं लगातार संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहे। आज धीरूभाई अंबानी की सफलता की यात्रा को लोग एक ऐतिहासिक संघर्ष की गाथा के रूप में जानते हैं।
सुभाष चंद्र बोस जब बच्चे थे, तो एक दिन मां के साथ लेटे हुए बिस्तर से उठ कर जमीन पर जाकर सो गए। मां के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज अध्यापक जी ने बताया है कि हमारे ऋषि मुनि जमीन पर सोते एवं कठोर जीवन बिताते थे। मैं भी ऋषि बनूंगा। पिताजी ने भी उनकी बात सुनी, उन्होंने कहा " मात्र जमीन पर सोना ही पर्याप्त नहीं है, ज्ञान संचय तथा सामाजिक एवं राष्ट्रीय सेवा में सलंग्न होना भी जरूरी है। अभी तुम छोटे हो, मां के पास जाकर सो जाओ। बड़े होने पर तीनों काम करना। सुभाष अपने पिता की सलाह की गांठ बांध ली। आईसीएस की परीक्षा में पास करने के बाद वह खूब ठाट बाट का जीवन व्यतीत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने कहा-" मैं अपने जीवन का लक्ष्य निश्चित कर चुका हूं। मातृभूमि की सेवा करूंगा ”।
धन्यवाद
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