प्रेम क्या है? वास्तव में प्रेम एक भावना है जिससे परिभाषित करना मुश्किल है। प्रेम वह शक्ति है जो आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसात की शक्ति की सशक्त बनाती है। प्रेम एक मन से गहरा लगाव, स्नेह और आत्मीयता का भाव है। प्रेम स्नेह, आत्मीयता और स्वीकृति का रूप है । प्रेम हवस का चिन्ह नहीं.. प्रेम एकता का चिन्ह है। पहली दफा में प्रेम नहीं होता है.. पहली दफा में आकर्षण और हवस के कारण कोई व्यक्ति अच्छा लगता है। प्रेम स्वंत्रता, सुरक्षा, प्रेरणा, उत्साह का प्रतीक है ना कि फिजिकल होने का।
अत : प्रेम एक सार्वभौमिक भावना है। यह जीवन का एक अनमोल उपहार है.. जो हमें वास्तविक ख़ुशी, आनंद और अर्थ प्रदान करता है।
आज मैं आप सभी से साझा करना चाहती हूँ..वास्तविक प्रेम का क्या पहचान होता है। वास्तविक जीवन साथी का पहचान क्या है।
1.निस्वार्थ : वास्तविक प्रेम वह है जब श्री कृष्ण जी ने राधा जी और राधा जी ने श्री कृष्ण से किया था। शिव ने पार्वती और पार्वती ने शिव से। लेकिन शायद आज प्रेम की परिभाषा बदल गयी है। आज प्रेम तन से होता है.. आज प्रेम लड़की कितनी सुंदर है यह देखकर किया जाता है। यह प्रेम नहीं यह सौदा है यह हवस है.. यह झूठा प्रदर्शन है। वास्तविक प्रेम वह है जिसमे स्वार्थ ना हो। सच्चे प्रेम में पार्टनर हर परिस्थिति में साथ देते है।वास्तविक प्रेम है जब आप अपने पार्टनर के साथ रहते है.. तब आप जेंडर भूल जाते है। सच्चा प्रेम वह है जिसमें पार्टनर एक -दूसरे को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है।
2. विश्वास : प्रेम का आरम्भ विश्वास से होता है। सशक्त विश्वास ही प्रेम की शक्ति को आगे बढाती है। विश्वास प्रेम का आधार होता है.. जिससे रिश्ता मजबूत होता है.. सुंदर होता है.. आगे बढ़ता भी। अपने पार्टनर में विश्वास रखे.. और एक -दूसरे को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे। यकीन मानिये जब अपने पार्टनर से जब मोटिवेशन शब्द प्राप्त होता है.. तब आगे बढ़ने का जूनून बहुत बढ़ जाता है।
रिस्पेक्ट :प्रेम विश्वास,सम्मान और एकत्व के आधार पर टिका है।आप जिससे भी प्रेम करते है.. सबसे पहले उनको अच्छे से समझ ले। वास्तविक प्रेम वह है जिसमें जिसकी शुरुआत और अंत तक सम्मान दिया जाता है और सम्मान की दृष्टि से सदैव देखा जाता है। आज के यूथ को प्रेम हो जाता है। शुरू -शुरू में बहुत मीठी -मीठी बातें.. लेकिन बाद में सम्मान के साथ पर अपमान प्रदान किया जाता है। यह प्रेम नहीं यह अपमान का पहचान है। अपने पार्टनर के फीलिंग, विचार को समझे।अपने पार्टनर को व्यक्तिगत स्वंत्रता दे। बिना सोचे समझें अपने पार्टनर को जज ना करे। अगर कोई भी प्रॉब्लम आए तो एक साथ बैठकर मिलकर बात करे।
कम्युनिकेशन : प्रेम सच्चाई का भी प्रतीक है। सच्चे रिश्ते में एक हेअल्थी कम्युनिकेशन होता है। सच्चे रिश्ते में पार्टनर अपने विचार, फीलिंग्स को ईमानदारी के साथ साझा करते है। कई रिश्ते इसलिए अधूरे रह जाते है.. क्युकी हम अपने पार्टनर को एक्टिव रूप से नहीं सुनते है। यह बहुत जरुरी है कि हमें अपने पार्टनर को एक्टिव रूप से सुनना चाहिए। ज्यादा सुने और कम बोले। इसलिए भगवान ने हमें दो कान और एक मुँह दिया। जिससे हम ज्यादा सुनने और कम बोले। किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने का तरीका है कि हम कम बोले ज्यादा सुने।
मदद :यह जरुरी नहीं है कि प्रेम केवल पुरुष और महिला के बीच ही होता है। प्रेम हमें अपने पुस्तक, ईश्वर इत्यादि से हो सकता है। सच्चा प्रेम वह है जिसमें आपके पार्टनर भले ही ख़ुशी में आपके साथ ना हो लेकिन मुसीबत में हमेशा आपके साथ हो। हर मुसीबत में आपको मुसीबत से लड़ने के लिए आपको प्रोत्साहित करे। अपने पार्टनर का हमेशा सम्मान करे.. सपोर्ट करे और आगे बढ़े।
मन : प्रेम तन से नहीं प्रेम मन से होता है। प्रेम सौदा नहीं प्रेम एकता और विश्वास का वादा है। प्रेम कभी भी फिजिकल होने के लिए फाॅर्स नहीं करता है। अपितु प्रेम एक -दूसरे के मेन्टल विकास में साथ देता है। जो कहते है कि मैंने प्रेम उसके चेहरे, बाल, नाख़ून देखकर हुआ है.. वास्तविक में वह प्रेम नहीं है। वह इंसान में छुपी कामवासना है। जो उसे जानवर बना रही है। प्रेम कामवासना नहीं मनोरंजन नहीं। अपितु प्रेम मनोमंजन का प्रतीक है। अगर आप एक रिश्ते को मजबूत बनाना चाहते है.. तब आप अपने पार्टनर को कभी भी फिजिकल होने के लिए फ़ोर्स ना करे। मन से प्रेम करे..उनके गुणों.. उनके स्किल से प्रेम करे।
शेयर्ड : ऐसा नहीं है कि प्रेम केवल रोमांटिक पूर्ण बातें होती है। वास्तविक प्रेम वह है जो लाइफ में वैल्यू प्रदान करे। प्रेम वह नहीं है जहाँ कामवासना की बात की जाती है। प्रेम वह है ज़ब पार्टनर एक -दूसरे के साथ अपने गोल्स को, सकारात्मक सोच और आइडियाज को शेयर करते है। दोनों एक साथ मिलकर धीरे -धीरे सफलता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ते है
क्षमा : प्रेम अहंकार और ज्वाला का प्रतीक नहीं है। जब पार्टनर से कोई गलती हो जाता है.. तब प्रेम क्रोध करना नहीं अपितु क्षमा करना सिखाता है। प्रेम पास्ट की गलतियों को क्षमा कर वर्त्तमान को बेहतरीन बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसलिए तो प्रेम को विकास.. उन्नति और प्रेरणापुंज कहा जाता है। सच्चे साथी हमेशा अपने पार्टनर की आगे बढ़ने के लिए हिम्मत देता /देती है। जिससे इस रिश्ते में मिठास कई गुणा बढ़ जाती है।
यह कुछ तरिके है.. जिसके माध्यम से जाना सकता है कि प्रेम क्या है?वास्तविक पार्टनर की पहचान कैसी होती है? उपरोक्त के अलावा लॉयलिटी, ग्राटिटूड, हिम्मत, शेयर्ड रिस्पांसिबिलिटी, अदाप्ताबिलिटी, एक साथ मिलकर सेलिब्रेशन, resilience, कमिटमेंट इत्यादि। यह सभी कुछ पहचान है। जिससे आप वास्तविक प्रेम के बारे में जान सकते है।
धन्यवाद
काजल साह
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