सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में दुबई कोर्ट के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा कि दुबई कोर्ट द्वारा एक नाबालिग बच्चे पर यात्रा प्रतिबंध लगाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है। यह आदेश एक वैवाहिक विवाद से जुड़े मामले में आया था, जहां पति और पत्नी दोनों अपने बच्चे की कस्टडी के लिए लड़ रहे थे।
मामले की पृष्ठभूमि
मामले में याचिकाकर्ता पिता ने अपने बेटे की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। पिता का आरोप था कि उसकी पूर्व पत्नी उसकी जानकारी के बिना परिवार के दुबई स्थित घर से बच्चे को ले गई और दुबई कोर्ट से बेटे पर यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश प्राप्त किया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ऐसे आदेश "अत्याचारी" और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "यह मानवाधिकारों का पूर्ण उल्लंघन है कि आपको देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। यह घर में कैद करने या जेल में डालने के बराबर है।"
कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील की दलीलें सुनने के बाद मुलाकात के अधिकार और अन्य सहायक राहत प्रदान करने के लिए नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के आचरण, बच्चे के कल्याण और याचिकाकर्ता को मिलने-जुलने का अधिकार मिलने के बारे में खुद को संतुष्ट करेगा।
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