The Latest | India | [email protected]

55 subscriber(s)


K
10/03/2023 Kajal sah Awareness Views 139 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता : खींची गई लक्ष्मण रेखा
खींची गई है लक्ष्मण रेखा,
मेरे सपनों को मार कर
छा गया है अंधेरा,
मेरे दुखों को देखकर।

ना निकल पाऊंगी मैं
कभी लक्ष्मण रेखा से?
दर्द को घुट - घुट कर पी जाऊंगी
इस चारदीवारी में....
किसी नें नहीं समझा, मेरी बातों को
और बंद कर दिया मुझें
चारदीवारी में।
चाह पढ़ने की थी पर,
ना कर पाई अपनी चाहत को पूरा।
इच्छा जाहिर की तो
बंद कर दिया मुझें
चारदीवारी में।
घुट - घुट के रों रही है
जिंदगी मेरी
अपनें माँ - बाप की सोच को देखकर
खींची गई लक्ष्मण रेखा
मेरे सपनों को मार कर।
धन्यवाद : काजल साह :स्वरचित
                             

Related articles

 WhatsApp no. else use your mail id to get the otp...!    Please tick to get otp in your mail id...!
 





© mutebreak.com | All Rights Reserved