हमने देखे ख्वाब ऊंची पहाड़ी पर घरों के और बनाया खुद को काबिल सुनहरे परों के पर जाने क्यों तकदीर को हमसे रश्क रहा जीया हमने हर लम्हा जिंदगी का इक जश्न सा वो गिराती रही हम संभलते रहे वो राहें गुम करती रही हम धुन में अपनी उड़ते रहे घिरते अंधेरों में जुगनू बन अपनी दमक में मगन रहे फूल मुरझाए खिजां आई पर भीतर खिलते उम्मीदों के चमन रहे....🌼✨ @रिया बंसल ✍️
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