ओ बनवारी कृष्ण मुरारी
मुरली मधुर बजा रहे हो
अपनी खिली मुस्कान से
गोपियों को लुभा रहे हो
अपने नैनन से प्रेम -सुधा बहा रहे हो।
कैसे जिक्र करूं तुम्हारे स्वांग का
हर भक्तों का हृदय खिल जाता है
हर अभिलाषा तेरी कृपा से पूर्ण हो जाती है
ओ मनमोहन कृष्ण मुरारी
कैसी प्रेम -सुधा बहा रहे हो।
कभी न उदास करना मेरे श्याम
हे मेरे कान्हा, हे मेरे श्याम
हर कोने में करो प्रकाश
तरसे मेरी नैना, मिले न चैना
अँधियारी हर पगडंडी से
तुम्हीं ने मुझे संभाला है
हर पीड़ा से बचाया है।
दुख को भुला हंसती रहूं
तेरा ही नाम जपती रहूं
संवाला रंग बड़ा मनमोहन
मोहनी -सी मुस्कान है तेरी
कैसे मैं नजर हटाऊं
ओ बनवारी कृष्ण मुरारी
कैसी मुरली बजा रहे हो
प्रेम -सुधा बरसा रहे हो।
धन्यवाद
काजल साह
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