एक नारी के अनेक रूप होते है। नारी अपने हर रूप की जिम्मेदारी को अच्छे से निर्वाह करती है। घर से बाहर तक एक सशक्त रूप में आगे बढ़ती है। आज महिला शिक्षा से राजनितिक, व्यवसाय से लेकर खेलकूद इत्यादि सभी क्षेत्रों में अपना प्रमुख अस्तित्व बना रही है। लेकिन दुख की बात यह है कि बेटी अपने शिक्षा, साहस और हिम्मत से हर उन्नति तक पहुँच सकती है। सिर्फ जरूरत है कि हमें उनके हौसले, सपने को ऊँची उड़ान देनी चाहिए।आज मैं आपको अपनी छोटी से कविता शीर्षक "लाडली " के माध्यम से जब बेटी माँ के गर्व में होती है.. तब वह अपने माँ से केवल यही पुकार लगाती है..
तेरी लाडली मैं
तेरी जान मैं
तेरी बेटी मैं
तो क्यों मार रही है मुझे
अपने ही पेट में
क्यों जला रही है मुझे
अपने ही कोख में?
क्या मैं तेरे लिए
इतनी बुरी हूँ कि तूने मुझे
दुनिया ही देखने नहीं दिया?
माँ, तेरे लिए कुछ करना चाहती हूँ
मत मार ना मुझे
तेरे साथ धड़कन चल रही है मेरी
मुझे जन्म तो लेने दे।
धन्यवाद
काजल साह
|